खबर जरा हटकर / राज्य की 5 सीटें... जहां नहीं बदला चेहरा, कोडरमा में महिलाएं रहीं अजेय

रांची . झारखंड में कई विधानसभा सीटें ऐसी हैं जो पाटिर्यों की गढ़ है तो पांच सीटें ऐसी हैं, जहां एक प्रत्याशी की ही चलती है। जमशेदपुर पूर्वी, रांची, खूंटी, पोड़ैयाहाट, सरायकेला विधानसभा क्षेत्र की राजनीति एक ही चेहरे के इर्द-गिर्द घूमती है। इन सीटों पर प्रत्याशी हारे नहीं, सिर्फ वोटों का मार्जिन ऊपर-नीचे होता रहा। रघुवर दास, सीपी सिंह, प्रदीप यादव, नीलकंठ सिंह मुंडा और चंपई सोरेन जीतते रहे हैं। राज्य में दो क्षेत्र ऐसे हैं, जहां एक परिवार की चलती है। वहीं, कोडरमा सीट पर 2000 से महिलाओं का दबदबा रहा। महिलाएं ही चुनाव जीतती रहीं।


इन सीटों पर एक प्रत्याशी का चलता है सिक्का


    सीट          प्रत्याशी                       साल
जमशेदपुर पू.    रघुवर दास    1995, 2000, 05, 09, 14 
रांची    सीपी सिंह    2000, 2005, 2009, 14
खूंटी    नीलकंठ सिंह मुंडा    2000, 2005, 2009, 14
पौड़ेयाहाट    प्रदीप कुमार यादव    2000,2005, 2009, 14
सरायकेला    चंपई सोरेन    2005, 2009, 2014


(स्रोत-चुनाव आयोग के रिकॉर्ड्स के अनुसार)


झरिया : घर से चलती है विधानसभा की राजनीति


झरिया विधानसभा क्षेत्र की राजनीति का रास्ता सिंह मेंशन से होकर गुजरता है। 2000 में सूर्यदेव सिंह के भाई बच्चा सिंह समता पार्टी से विधायक बने। 2005 में स्व. सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह भाजपा की विधायक चुनी गईं। 2009 में एक बार फिर भाजपा की कुंती सिंह ने कांग्रेस के सुरेश सिंह को हराया था। 2014 में कुंती सिंह के बेटे संजीव सिंह भाजपा से मैदान में उतरे। कांग्रेस ने उनके चचेरे भाई नीरज सिंह को उतारा। संजीव सिंह विजयी रहे। इस बार मुकाबला देवरानी-जेठानी के बीच है।


कोडरमा : यहां चलता है महिलाओं का ही राज
कोडरमा सीट, जहां चार चुनाव से महिला उम्मीदवारों का ही दबदबा रहा। 2000 में राजद की अन्नपूर्णा देवी ने भाजपा के रमेश सिंह को हराया था। 2005 में राजद की अन्नपूर्णा ने कांग्रेस के साजिद हुसैन को शिकस्त दी थी। 2009 में फिर अन्नपूर्णा देवी ने रमेश सिंह को हराया था। 2014 में उनके विजय रथ को डॉ नीरा यादव ने रोका था।


रामगढ़ : 2005 से चुनाव नहीं हारे चंद्रप्रकाश चौधरी
रामगढ़ ऐसी सीट है जहां आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी अजेय रहे। 2005 चुनाव में चंद्रप्रकाश चौधरी का विजय अभियान शुरू हुआ। 2014 में भी वे विधायक चुने गए। 2019 में चंद्रप्रकाश गिरिडीह के सांसद चुने गए। इस बार उनकी पत्नी सुनीता चाैधरी चुनाव लड़ रही हैं। मुकाबला कांग्रेस की बबिता देवी आैर भाजपा के रणंजय कुमार से है। 


मांडू : यहां एक परिवार के इर्द-गिर्द चलती है राजनीति
मांडू की राजनीति एक परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। 2000 में झामुमो के टेकलाल महतो विधायक बने थे। गिरिडीह सांसद चुने जाने के बाद 2005 में खीरू महतो ने उनके बेटे रामप्रकाश भाई पटेल को हराया था। 2009 में टेकलाल महतो ने बेटे की हार का बदला लिया। निधन के बाद उनके बेटे जयप्रकाश भाई पटेल ने विरासत संभाली। इस बार दो भाइयों में मुकाबला है।